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नमस्कार दोस्तों,
आज दुनिया भर में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचाया हुआ है।
और इस भारी पैमाने पर बढ़ रही बीमारी से लड़ने और इसका डट कर मुकाबला करने के लिए हर कोई अपनी तैयारी कर रहा है। कोरोना वायरस से बचने के लिए कई तरह के सुरक्षा उपाय अपनाये जा रहे है। सोशल मीडिया, अखबार, न्यूज़ चैनल्स पर कई निवारण हेतु ( प्रिवेंटिव ) पोस्ट और वीडियो प्रसारित किये जा रहे है, जो की काफी वायरल हो रहे है।
भारत सरकार की तरफ से सुरक्षित उपाय योजना के तहत आज ही दिनांक २२ मार्च २०२० को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया गया है, जो की कल सुबह ७ बजे से शुरू होने जा रहा है। सामाजिक मेलमिलाप , सामूहिक संगठन एव कार्यक्रम इन सब बातों से हमें इस दिन (और हो सके तो आने वाले कुछ दिन ) बचाना है।
इसके साथ ही हमें कुछ बातों का खयाल रखना है जैसे की, दिनभर बार बार लगातार साबुन से हाथ धोना, भरपूर मात्रा में पानी पिए ताकि आपका शरीर अनावश्यक एव हानिकारक तत्व शरीर से बहार निकल सके, शीत वस्तुए या रेफ्रीजिरेटर में रखे पदार्थ का सेवन ना करे, वृद्ध व्यक्तियों का खास तौर पर ध्यान रखे। आने वाले कुछ दिन ज्यादा से ज्यादा घर पर ही रहने की कोशिश करनी है। इन सभी सुरक्षा उपायों का हमें गंभीरता से विचार और पालन करना हमारे लिए बहोत जरुरी है।
क्या आप जानते है योग हमें इस जागतिक आपदा के दौर से लड़ने में मदद कर सकता है? जी हां, योग हमें कोरोना से डट कर मुकाबला करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। तो जानिये कैसे योग के माध्यम से हम कोरोना से लड़ सकते है।
कोरोना से लड़ने के लिए हम पहले से ही काफी सुरक्षा उपाय अपना रहे है। पर इन सब उपायों के साथ हमें कुछ और बातों पर भी काम करने की जरुरत है जो की काफी आवश्यक है। योग के माध्यम से हम अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रणाली ( इम्युनिटी सिस्टम ), श्वशन प्रणाली ( रेस्पिरेटरी सिस्टम ), पाचन प्रणाली ( डायजेस्टिव सिस्टम ) और मज्जा प्रणाली ( नर्वस सिस्टम ) को मजबूत करने पर काम कर सकते है।
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कोविद १९ विषाणु से होने वाले कोरोना संक्रमण के मूलतः लक्षण इस प्रकार देखे जाते है – सांस लेने में तकलीफ, सुखी खांसी, बुखार, सर्दी, गले में तकलीफ। तो इस से सामना करने के लिए हम अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रणाली और श्वसन प्रणाली को किस तरह से बुलंद बना सकते है ये आप जानिये डॉ श्वेता वर्पे ( yog sculpter & lifestyler ) से।
आप को घर बैठे निम्न दी गयी दस प्रक्रिया करनी है :
१) नाड़ी शुद्धिकरन क्रिया ( Nostril cleansing process )
दाई नासिका को अंगुली मुद्रा बना के या अंगूठे से बंद कीजिये, बायीं नासिका खुली रहेगी। सक्रिय सास छोड़ना ( एक्टिव एक्सहेलेशन ) और निष्क्रिय सास लेना (पैसिव इन्हेलेशन ) बाए नासिका से करना है। इस प्रक्रिया को पंधरह से बिस बार करना है। बाए नासिका से करने के बाद इसी प्रक्रिया को दाए नासिका के साथ पुनः करे। दाए नासिका के साथ भी पंधरह से बिस बार करना है। ये एक आवर्तन हो गया। और इसी तरह से सम्पूर्ण दिन में हमें ये क्रिया सौ बार दोहरानी है , मतलब कई बार हमें ये क्रिया करनी है। जिस प्रकार हमें दिन भर बार बार हाथ धोने है उसी प्रकार इस क्रिया को दिन भर में बार बार करते रहना काफी कारगर साबित होगा। इस का लाभ ये है के अगर आपके श्वसन नलिका से लेकर फेफड़ों तक कही भी बलगम ( म्यूकस ), धूलिकण या कुछ भी हानिकारक है तो वो पूरी तरह से साफ़ हो जाता है। कोरोना वायरस के लक्षण सुखी खांसी के लिए यह काफी उपयुक्त है।
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दूसरा फायदा ये है के ये आपको श्वसन त्रुटियों से छुटकरा ( रिमूविंग एर्रोर्स इन ब्रीथिंग ) दिलाता है। नाक बंद हो जाने से आपका श्वसन त्रुटियों पूर्ण हो जाता है। श्वसन त्रुटियों को दूर करने में भी प्राणायाम की प्रक्रिया बेहत फायदेमंद साबित होती है। योग और प्राणायाम से श्वसन त्रुटियों से छुटकारा मिलकर आप कोरोना के सांस लेने के तकलीफ से अच्छी तरह से लड़ सकते है।
तीसरा फायदा ये है के अगर आप को छोटी सांस, अल्प सास या फिर कमजोर सांस की तकलीफ है तो इससे आपकी सांस लम्बी एवं मजबूत होगी।
२) कपालभाति
कपालभाति एक प्रकार की शुद्धि क्रिया है। यह भी दिन भर में हमें सौ बार करनी है। जितना हाथ धोना जरुरी है उतने ही बार कपालभाति करते रहना भी जरुरी है। इस प्रक्रिया में भी सक्रिय और निष्क्रिय सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया है लेकिन साथ पेट पे आघात ( एब्डोमिनल स्ट्रोक्स ) वाली प्रक्रिया नहीं है।
इस के लाभ यह है की श्वसन प्रणाली के अवयव शुद्ध हो जाते है, फेफड़ों की ताकद बढ़ जाती है।
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३) उज्जयी प्राणायाम
इस प्राणायाम में सांस लेने की क्रिया हम नासिका से करते है और सांस छोड़ने की क्रिया करते वक़्त हम सांस को गले से श्वसन नलिका से होते हुए छोड़ते है।
इस प्राणायाम को करने से अगर हमारे गले कोई खराश है या कोई संक्रमण या इन्फेक्शन है तो वो साफ़ हो जाता है। अगर बैक्टीरिया है तो वो भी कम हो जाते है। इसी के साथ आपको दिन भर में गरम पानी से कुल्ला करना है और साथ ही गरम पानी का सेवन भी करना है। इसी प्राणायाम के वजह से हमारे लम्बे समय से होने वाले कफ और सर्दी में भी फायदा होता है, अंदरूनी शुद्धिकरण भी काफी अच्छी तरीके से हो जाता है।
४) भ्रामरी प्राणायाम
प्राणायाम के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान के लिए यहाँ क्लिक करे।
भ्रामरी प्राणायाम आपके फेफड़ों की क्षमता और लौचिकता बढ़ा देता है। इसी के साथ ही ये आपकी ऊर्जा फिर से जागरूक कर देता है।
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५) भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम आपके श्वसन नलिका को एक अनुकूल प्रभाव दिलाती है। इसके साथ ही फेफड़ों को एक तरह से हल्का व्यायाम कराती है। और पूरी रोग प्रतिरोधक शक्ति प्रणाली सुधारती है।
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६) अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से हमारे श्वसन नलिका की क्षमता बढ़ जाती है। आपकी ऊर्जा, शारीरिक क्षमता, और सम्पूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इससे शरीर से विष बाहर फेकने की प्रक्रिया ( डिटॉक्सिफिकेशन ) काफी बड़ी मात्रा में होता है।
७) सूर्यनमस्कार
सूर्यनमस्कार आपको हर तरीके का स्वास्थ प्रभाव देता है। ये आपका सम्पूर्ण स्वास्थ सुधरता है, साथ ही ताकद, सहनशक्ति, चलने फिरने की क्षमता, लौचिकता, साथ साथ प्राणशक्ति के द्वार साफ़ कर देता है। इस कारन सूर्यनमस्कार से रोग प्रतिरोधक शक्ति बहोत बढ़ जाती है।
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सूर्यनमस्कार २ एवं ११ क्रिया
८) सुलभ तड़ागी मुद्रा
सुलभ तड़ागी मुद्रा पेट के मांसपेशियों और अवयवों को काफी अच्छी तरह मालिश करवाती है, जिस के कारन पाचन प्रणाली बहोत अच्छी बनती है।
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९) अग्निसार और १०) उड्डियान बंध
अग्निसार और उड्डियान बंध क्रियाएं मुद्रा और बंध है। इन क्रिया और बंध से आतंरिक अवयवों को काफी अच्छी तरीके से मालिश मिलती है; जी कारन पाचन काफी अच्छा रहता है।
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इस ढंग से हम अपने पुरे शारीरिक प्रणालियों को इन १० प्रक्रियाओं से सुधर सकते है वो भी घर बैठे बैठे। तो दोस्तों आज ही इन १० बातों को अपनाये और निरोगी रहे,स्वस्थ रहे, और सुरक्षित रहे ‘ अपने घर में ‘ ।